गुरुदेवता भजनमंजरी

श्रीरामचंद्र कृपालु

घोषः

जानकी कांत स्मरणं जय जय राम राम

श्लोकः

रामाय रामभद्राय
रामचंद्राय वेधसे |
रघुनाथाय नाथाय
सीतायाः पतये नमः ||

कीर्तनम् — 4

रागः : यमन कल्याणि

तालः : मिश्र चापु

श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन
हरण भवभयदारुणम् |
नवकंजलोचन कंजमुख कर­कंज पद कंजारुणम् ||

कंदर्प अगणित अमित छवि नव­नीलनीरद सुंदरम् |
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि
नौमि जनकसुतावरम् ||

भज दीनबंधु दिनेश दानव
दैतैवंशनिकंदनम् |
रघुनंद आनंदकंद कोशल­चंद दशरथ नंदनम् ||

शिरमुकुट कुंडल तिलक चारु
उदारु अंगविभूषणम् |
आजानुभुज शरचापधर संग्राम­जितखरदूषणम् ||

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेषमुनिमनरंजनम् |
मम हृदयकंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनम् ||

नामावलिः

रामचंद्र रघुवीर
रामचंद्र रणधीर
रामचंद्र रघुराम
रामचंद्र परंधाम
रामचंद्र रघुनाथ
रामचंद्र जगन्नाथ
रामचंद्र मम बंधो
रामचंद्र दयासिंधो

घोषः

जानकी कांत स्मरणं जय जय राम राम