गुरुदेवता भजनमंजरी

पिबरे रामरसं

घोषः

जानकी कांत स्मरणं जय जय राम राम

श्लोकः

विशुद्धं परं सच्चिदानंदरूपं
गुणाधारमाधारहीनं वरेण्यम् |
महांतं विभांतं गुहांतं गुणांतं
सुखांतं स्वयं धाम रामं प्रपद्ये ||

कीर्तनम् — 3

रागः : आहिर भैरव

तालः : आदि

पिबरे रामरसं रसने
पिबरे रामरसम् ||

दूरीकृत पातक संसर्गं
पूरित नानाविध फलवर्गम् ||

जनन मरण भय शोक विदूरं
सकल शास्त्र निगमागमसारम् ||

परिपालित सरसिज गर्भांडं
परमपवित्रीकृत पाषंडम् ||

शुद्ध परम हंसाश्रम गीतं
शुकशौनक कौशिक मुखपीतम् ||

नामावलिः

कमल नयन राम
कमल चरण राम
कमल नयन कमल
चरण पतित पावन राम
पतित पावन राम
जानकि जीवन राम
पतित पावन जानकि
जीवन आनंदरूप राम
आनंदरूप राम
अयोध्यवासी राम
आनंदरूप अयोध्यवासी
साधक सज्जन राम

घोषः

जानकी कांत स्मरणं जय जय राम राम