हर नमः पार्वती पतये हर हर महादेव |
महिम्नः पारंते परमविदुषो यद्यसदृशी
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि
तदवसन्नास्त्वयि गिरः ।
अथावाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन्
ममाप्येषस्तोत्रे हर!
निरपवादः परिकरः ॥
रागः : सिंधुबैरवि
तालः : रूपक
विश्वेश्वर दर्शन कर चल
मन तुम काशी ||
विश्वेश्वर दर्शन जब कीन्हो
बहु प्रेम सहित
काटे करुणा निदान जनन मरण फास
भहती जिनकी पुरी मो गंगा
पय कॆ समान
वा कॆ तट घाट घाट
भर राहे संन्यासि
भस्म अंग भुज त्रिशूल
और मे लासे नाग
मायि गिरिजा अर्धांग धरे
त्रिभुवन जिन दासी
पद्मनाभ कमलनयन
त्रिनयन शंभू महेश
भज ले ये दो स्वरूप
रहले अविनाशि
शंभो शंकर शिव शंभो शंकर
शंभो शंकर सांब सदाशिव
शंभो शंकर
पार्वती नायक परमेश पाहिमां
शंभो शंकर सांब सदाशिव
शंभो शंकर
हर नमः पार्वती पतये हर हर महादेव |