गुरुदेवता भजनमंजरी

जय देव जय देव जय दीनशरण्य

घोषः

दक्षिणाम्नाय शृंगेरि शारदापीठ जगद्गुरु महाराज की जै|शृंगेरि जगद्गुरु विद्यारण्य गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु नृसिंहभारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्रीसच्चिदानंद शिवाभिनवनृसिंह भारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्रीचंद्रशेखरभारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री अभिनव विद्या तीर्थ गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री भारतीतीर्थ गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री विधुशेखर भारती गुरु महाराज की जै|

श्लोकः

विद्याविनयसंपन्नं
वीतरागं विवेकिनम् |
वंदे वेदांततत्त्वज्ञं
विधुशेखरभारतीम् ||

कीर्तनम् — 14

रागः : कुरंजि

तालः : आदि तिस्र गत

जय देव जय देव जय दीनशरण्य,
अनुपमकारुण्य
विधुशेखरभारतिगुरुपरहंसवरेण्य
जय देव जय देव ||

गुरुचरणांबुजभृंग त्यक्ताखिलसंग
नतजनसदयापांग कृतसंसृतिभंग ||

श्रुतिशास्त्रावनदीक्ष नयबोधनदक्ष
पतितोद्धरणकटाक्ष श्रितकल्पकवृक्ष ||

आस्तिकतासंपोष स्मितपूर्वकभाष
भक्त्यैवाहिततोष सकलाघसुशोष ||

शशधरशेखरभारतियत्यपराकार
निगमांतार्थविचार स्वात्मैकविहार ||

नामावलिः

पाहि मां जगद्गुरो
दीनशरण्य पाहि मां
रक्ष मां गुरुनाथ
विधुशेखर भारति रक्ष मां

घोषः

दक्षिणाम्नाय शृंगेरि शारदापीठ जगद्गुरु महाराज की जै|शृंगेरि जगद्गुरु विद्यारण्य गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु नृसिंहभारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्रीसच्चिदानंद शिवाभिनवनृसिंह भारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्रीचंद्रशेखरभारती गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री अभिनव विद्या तीर्थ गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री भारतीतीर्थ गुरु महाराज की जै|जगद्गुरु श्री विधुशेखर भारती गुरु महाराज की जै|