गुरुदेवता भजनमंजरी

उठा उठा हो सकळिक

घोषः

विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |

श्लोकः

समस्तलोक शंकरं
निरस्तदैत्य कुंजरं
दरेतरोदरं वरं
वरेभवक्त्रमक्षरम् |
कृपाकरं क्षमाकरं
मुदाकरं यशस्करं
मनस्करं नमस्कृतां
नमस्करोमि भास्वरम् ||

कीर्तनम् — 5

उठा उठा हो सकळिक,
वाचे स्मरावा गजमुख
ऋद्धि-सिद्धिचा नायक,
सुखदायक भक्तांसी

अंगी शेंदुराची उटी,
माथा शोभतसे कीरिटी
केशर कस्तूरी ललाटी,
कंठीहार साजिरा

कानी कुंडलांची प्रभा,
चंद्र-सूर्य जैसे नभा
माजी नागबंदी शोभा,
स्मरतां उभा जवळी तो

कांसे पीतांबराची धटी,
हाती मोदकांची वाटी
रामानंद स्मरतां कंठी,
तो संकटी पावतो

नामावलिः

विघ्नेशं भजरे मानस विघ्नहरं भजरे

घोषः

विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |