गुरुदेवता भजनमंजरी

तांडव नृत्यकरी गजानन

घोषः

विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |

श्लोकः

वागीशाद्याः सुमनसः
सर्वार्थानामुपक्रमे |
यन्नत्वा कृतकृत्याः स्युः
तन्नमामि गजाननम् ||

कीर्तनम् — 4

रागः : दर्बारि कानड

तालः : आदि

तांडव नृत्यकरी गजानन ॥

धिम-किट धिम-किट वाजे मृदुंग ।
ब्रह्मा ताल धरी गजानन ॥

तेहतीस कोटी सुरगण दाटी ।
मध्ये शिव गौरी गजानन ॥

नामी रंगले दास सदोदित ।
शोभे चंद्र शिरी गजानन ॥

आनंदात्मज म्हणे गजवदन ।
भवभय दूर करी गजानन ॥

नामावलिः

गौरीनंदन गजानन
गिरिजानंदन निरंजन
पार्वतिनंदन शुभानन
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्न |

घोषः

विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |