विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |
वागीशाद्याः सुमनसः
सर्वार्थानामुपक्रमे |
यन्नत्वा कृतकृत्याः स्युः
तन्नमामि गजाननम् ||
रागः : दर्बारि कानड
तालः : आदि
तांडव नृत्यकरी गजानन ॥
धिम-किट धिम-किट वाजे मृदुंग ।
ब्रह्मा ताल धरी गजानन ॥
तेहतीस कोटी सुरगण दाटी ।
मध्ये शिव गौरी गजानन ॥
नामी रंगले दास सदोदित ।
शोभे चंद्र शिरी गजानन ॥
आनंदात्मज म्हणे गजवदन ।
भवभय दूर करी गजानन ॥
गौरीनंदन गजानन
गिरिजानंदन निरंजन
पार्वतिनंदन शुभानन
पाहि प्रभो मां पाहि प्रसन्न |
विघ्नेश्वर भगवान की जै | विद्या गणपती की जै |