गुरुदेवता भजनमंजरी

वंदे संतं श्री हनुमंतम्

घोषः

वीर धीर शूर पराक्रम आंजनेय स्वामि की जै

श्लोकः

सदा राम रामेति
रामामृतं ते
सदाराममानंद­निष्यंदकंदम् |
पिबंतं नमंतं
सुदंतं हसंतं
हनूमंतमंतर्भजे
तं नितांतम् ||

कीर्तनम् — 1

रागः : मधुवंती

तालः : आदि

वंदे संतं श्री हनुमंतम्
रामदासममलं बलवंतम् ||

प्रेमरुद्धगळं अश्रुवहंतम्
पुलकांकितवपुषा विलसंतम् ॥

राम-कथामृत-मधु निपिबंतम्
परमप्रेम भरेण नटंतम् ॥

कदाचिदानंदेन हसंतम्
क्वचित्कदाचिदपि प्ररुदंतम् ॥

सर्वं राममयं पश्यंतम्
राम राम इति सदा जपंतम् ॥

सद्भक्तिपथं समुपदिशंतम्
विठ्ठलपंथं प्रति सुखयंतम् ॥

नामावलिः

आंजनेय हनुमंत
श्रीरामचंद्रन सद्भक्त

घोषः

वीर धीर शूर पराक्रम आंजनेय स्वामि की जै