गुरुदेवता भजनमंजरी

बारॆ श्रीलक्ष्मीदेवी कारुण्यदी

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै

श्लोकः

अंगं हरेः पुलक भूषण­माश्रयंती
भृंगांगनेव मुकुला­भरणं तमालम्
अंगीकृताखिलविभूति­रपांगलीला
मांगल्यदास्तु मम
मंगलदेवतायाः ||

कीर्तनम् — 1

रागः : केदारगौळ

तालः : त्रिपुट

बारॆ श्रीलक्ष्मीदेवी कारुण्यदी ||

घोर चिंतॆयॊळु
संसारि नानिरुवॆनॆ |
दारिद्र्य कॆट्टदु
यारु केळरु ताये ||

लोकदॊळिहॆ नानु
लोक मातॆयु नीनु |
याकॆ बळलिसुविये
साकिन्नु बेगने ||

हरि जायॆ नी ब्रह्म
बरहव तप्पि सि |
करुणदिंदॆनगीग
परमैश्वर्यव कॊडे ||

आनॆ कुदुरॆ सह
यानदि कुळितीग |
बा नन्न तायिये
नानारतिय माळ्पे ||

पल्लक्कि इळिदु बा
मॆल्लनी मनॆयोळु |
फुल्ल लोचनॆये नी
निल्ली कूडे ताये ||

इंदिरॆ नीदयदिंद
बंदिया देवी |
इंदु पूजिपॆ
शिवानंदन जायॆये ||

नामावलिः

लक्ष्मी मां पाहि
महालक्ष्मी मां पाहि
लक्ष्मी मां पाहि
वरलक्ष्मी मां पाहि
लक्ष्मी मां पाहि
जयलक्ष्मी मां पाहि
लक्ष्मी मां पाहि
भाग्यलक्ष्मी मां पाहि

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै