गुरुदेवता भजनमंजरी

गोपी गोपाल लाल

घोषः

गोपिका जीवन स्मरणं गोविंद गोविंद

श्लोकः

शांताकारं भुजगशयनं
पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं
मेघवर्णं शुभांगम् |
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं
योगिहृद्ध्यानगम्यं
वंदे विष्णुं भवभयहरं
सर्वलोकैकनाथम्

कीर्तनम् — 10

गोपी गोपाल लाल
रासमंडल माहीं |
तात्ताथेई ता सुधंग
निरत गहि बाहीं ||

द्रुम द्रुम द्रुम द्रुम मृदंग
छन नन नन रूप रंग
दृगतादृग तालतंग
उघटत रसनाई ||

बीच लाल बीच बाल
प्रति प्रति अति द्युति रसाल
अविगत गति अति उदार
निरखि दृग सराहीं ||

श्रीराधामुख शरत चंद
पोंछत जल श्रम अनंद
श्रीव्रजचंद लटक लतटक करत मुकुट छाहीं ||

चकित थकित यमुना नीर
खग मृग जग मग शरीर
धन नंदके कुमारबलि बलि जाय
सूरदास रास सुख तिहारहीं ||

नामावलिः

वनमाली राधारमण
गिरिधारी गोविंद
नीलमेघ सुंदर
नारायण केशव ||

भक्तहृदय मंदार
भानुकोटि सुंदर
आनंद नंद गोपकंद
नारायण केशव ||

वेणुगानलोल नवनीतचोर
मुचुकुंदवरद कुंदरदन
नारायण केशव ||

घोषः

गोपिका जीवन स्मरणं गोविंद गोविंद