गुरुदेवता भजनमंजरी

लक्ष्मि रावे मा इंटिक

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै

श्लोकः

नमस्तेस्तु महामाये
श्रीपीठे सुरपूजिते |
शंखचक्रगदाहस्ते
महालक्ष्मि नमोस्तु ते ||

कीर्तनम् — 2

रागः : मायामाळवगौळ

तालः : आदि

लक्ष्मि रावे मा इंटिकि
वरलक्ष्मि रावे मा इंटिकि
क्षीराब्धि पुत्रि वरलक्ष्मि
रावे मा इंटिकि

लक्ष्मि रावे मा इंटिकि
राजितमुग नॆलकॊन्न
सूक्ष्ममुग मोक्षमिच्चु
सुंदरि बृंदावन धारि

कुंकुम पच्च कस्तूरि
कोरिकतोनु गोरोजनमु
जाजि पुव्वु जलजलोचिनि
मुदमुतोन अर्पिंतूमु

चल्लनि गंधमु चंदनमुतो
साम्राणि धूपमु
माता नीकु प्रीतिग प्रख्यातीग
समर्पिंतुनम्म

पसुपु अक्षतलु परिमळ द्रव्यं
पंच बिल्वमुलु पूर्ण कलशमु
माता नीकु प्रीतिग
प्रख्यातीग समर्पिंतुनम्म

गुंडु मल्लॆ मॊगलि पूलु
दंडिग चामंति पूलु
मेलैन पारिजातमु
माता नीकु प्रीतिग
प्रख्यातीग समर्पिंतुनम्म

अंदमुग जरि अंचु चीर
कुंदनमु पच्चनि रविक
मॊगलि पुव्वुल जडने अल्लि
जडगुच्चुलनु कट्टेनम्म
माता नीकु मुदमुतो
मेमु चेतुमम्म चक्कनि पूज

अंदमुग अडवि पंड्लु
कदलि पंड्लु रेगु पंड्लु
मेलैन दानिम्म पंड्लु
घनमुगा कर्जुर पंड्लु
पंडु वॆन्नॆलतो नीकु
पद्मासिनि ने पूजिंप

नामावलिः

महालक्ष्मि मां पाहि
दीनदयालो मां पाहि
क्षीराब्धितनये मां पाहि
सर्वमंगले मां पाहि

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै