गोपिका जीवन स्मरणं गोविंद गोविंद
भगवत्पदकरपंकज-पूजित
-पदपद्म-शंखचक्रधर
यदुनंदन नतनंदन पाहि
सदा मां कृपापयोराशे ।
नवनीतादप्यधिकं मृदु मम
हृदयं प्रणम्र रक्षायां
इति बोधयितुं धत्से
नवनीतं किं करे कृष्ण ॥
अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम् ।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम भक्त मीरा के जैसे बुलाते नहीम् ।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीम् ।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
मा यशोदा के जैसे सुलाते नहीम् ।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीम् ।
नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।
याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।
गोविंद गोविंद गोपाल राधारमण
गोपिका जीवन स्मरणं गोविंद गोविंद