दो दिन का जग में मेला
सब चला चली का खेला
कोई चला गया कोई जावे
कोई गठरी बांध सिधावे
कोई खडा़ तैयार अकेला रे
यह चला चली का खेला रे
पाप कपट छल माया करके
लाख करोड़ कमाया
संग चले ना एक अधेला रे
यह चला चली का खेला रे
मात पिता सुत नारी भाई
अंत सहायक नाहीं
फिर क्यों भरता पाप का ठेला रे
यह चला चली का खेला रे
यह तो है नश्वर संसारा
भजन तू कर ले ईश का प्यारा
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला रे
यह चला चली का खेला रे