गुरुदेवता भजनमंजरी

ब्रह्मशक्ति श्री शारदॆये

घोषः

जगदंबा शारदा माता की जै

श्लोकः

नमस्ते शारदे देवि काश्मीरपुरवासिनि |
त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे ||

कीर्तनम् — 3

रागः : यमन्कल्याण्

तालः : आदि

ब्रह्मशक्ति श्री शारदॆये ब्रह्मज्ञानव कॊडुताये |
वीणापाणि सरस्वतिये वाणिचतुष्टय रूपिणिये ||

विद्यादेवि सरस्वतिये विद्यार्थिगॆ नीने गतिये |
सद्बुद्धिय नीयुतॆ जवदी सद्विद्यॆय कॊडु कडुमुददि ||

भारति निजभारतिय कॊडॆ भारत भक्तर कापाडॆ |
वाणिये प्रार्थिसुवॆनु बारॆ वाणि अधिष्ठानव तोरॆ ||

पूरॆयनुभववं वैखरियं अरुहुवॆ ना निन्नयकृपॆयिम् |
करुणदि कायॆ सरस्वतिये परम शिवानंदव नीयॆ ||

नामावलिः

जगज्जननि जगदंबे वाणि सरस्वति मां पाहि

घोषः

जगदंबा शारदा माता की जै