गुरुदेवता भजनमंजरी

लोकमातॆ विमल चरितॆ

घोषः

जगदंबा शारदा माता की जै

श्लोकः

शरदिंदुविकासिमंदहासां
स्फुरदिंदीवरलोचनाभिरामाम् |
अरविंदसमानसुंदरास्यां
अरविंदासनसुंदरीं उपासे ||

कीर्तनम् — 2

लोकमातॆ विमल चरितॆ देवि शारदांबॆयॆ
पाकशासनादिवंद्यॆ कमलभवन मडदियॆ ||

कमलनेत्रॆ इंदुवदनॆ कोमलांगि सुंदरि
भ्रमरवेणि हंसगमनॆ कीरवाणि गुणमणि ||

विद्यॆगळिगॆ जननियादॆ मुद्दु नविलनेरिदॆ
विद्यॆगळनु करुणिसम्म दीननागि बेडुवॆ ||

शृंगगिरिय पुरनिवासॆ पाहि शारदांबॆयॆ
सॆरगनॊड्डि बेडिकॊळुत पादपद्मकॆरगुवॆ ||

नामावलिः

वाणि मां पाहि वीणापाणि मां पाहि |
वाणि मां पाहि पुस्तकपाणि मां पाहि |

घोषः

जगदंबा शारदा माता की जै