गुरुदेवता भजनमंजरी

सती आर्यॆयू

घोषः

जगद्गुरु शंकराचार्य गुरु महाराज की जै |

श्लोकः

आर्यांबाजठरे जनिर्द्विजसती­दारिद्र्यनिर्मूलनं
संन्यासाश्रयणं गुरूपसदनं
श्रीमंडनादेर्जयः |
शिष्यौघग्रहणं सुभाष्यरचनं
सर्वज्ञपीठाश्रयः
पीठानां रचनेति संग्रहमयी
सैषा कथा शांकरी ||

कीर्तनम् — 7

सती आर्यॆयू शिवगुरू तायि तंदॆ
जगक्कागि ई जोडियोळ् हुट्टि बंदॆ |
अहोभाग्यवा कालटी जन्म भूमि
नमस्कार श्री शंकराचार्य स्वामि ||

बहूज्ञान वैराग्य तंदित्त निन्ना
महा ब्रह्मचर्यक्कॆ जोडावुदिन्ना |
सुकुमार्यदल्ले तपःचक्रवर्ती
नमस्कार श्री शंकराचार्य मूर्ती ||

तुरीयाश्रमावाय्तु निन्नी सजीवा
श्रुतीयर्थकू बंतु सुस्थैर्यभावा |
समस्तर्गु सद्धर्म सारिद्द कीर्ती
नमस्कार श्री शंकराचार्य मूर्ती ||

महामोहदासक्तिय गॆद्द निन्न
इडी ज्ञान विज्ञान वॆंथा प्रसन्ना |
तिळी बुद्धिगे निन्न सामर्थ्य गॊत्तु
प्रसिद्धादरा शंकरा निन्न पत्तु ||

शृती स्वानुभूती गुरूक्ती रमाण्या
गुणी पावनी शंकरीवाणि पुण्य |
मुमुक्षुत्ववॆल्लिद्दरू नी शरण्या
नमो शंकराचार्य विद्वद्वरेण्या ||

समानानु भावा समान प्रतीती
समानस्थिती विश्वदाभासरीती |
विनाकारणा भेददी भ्रांतियॆंदा
महाज्ञानि श्री शंकराचार्यपादा ||

इडी भारता सुत्ति सुज्ञान बित्ति
समाज व्यवस्था स्थिती मेलकॆत्ति |
प्रपंचक्कॆ नी दारि तोरिद्द सूर्या
नमस्ते जगत्पीठदाचार्य वर्या ||

मठस्थापिसी वासिसी नाल्कु दिक्कु
यशो दुंधुभीनाद वॆल्लॆल्लु हॊक्कु |
निजक्कीत भूमंडलाचार्यनॆंदु
नुती माडिती शंकरा देवरॆंदु ||

दयासागरा शंकरा दीन बंधु
सदा ई हृदाकाशवं नॆच्चिनिंदु |
कृपा माडपा बेडलिन्नावुदन्ना
इवा निन्नवा निन्न योगीश धन्या ||

नामावलिः

शंकराचार्य गुरुनाथ |
सद्-विद्यादायक जगन्नाथ |
शंकराचार्य जगद्गुरो |
सद्-धर्मस्थापक कल्पतरो |

घोषः

जगद्गुरु शंकराचार्य गुरु महाराज की जै |