गुरुदेवता भजनमंजरी

वंदिपॆ निमगॆ गुरुनाथ

घोषः

जगद्गुरु शंकराचार्य गुरु महाराज की जै |

श्लोकः

नत्वा यत्पदयुग्मं
वाचस्पतिगर्वहारिवाक् ततयः |
प्रभवंति हि भुवि मूकास्तमहं
प्रणमामि शंकराचार्यम् ||

कीर्तनम् — 5

रागः : गंभीर नाटै

तालः : आदि

वंदिपॆ निमगॆ गुरुनाथ |
मॊदलॊंदिपॆ निमगॆ गुरुनाथ |

हिंदु मुंदरियद निम्म
कंदनाद ऎन्न नित्यानंददल्लि
सेरिसो गुरुनाथा |

ईश निम्म दासरिगॆ
दासनादॆ ऎन्न भवपाशवन्नु
हरिसो गुरुनाथ |

भेदवाद वादिगळ
हादियन्नु बिडिसि निम्म
पादवन्नु पालिसो गुरुनाथ |

लीलॆयिंद निम्म पाद
धूळी ऎन्न शिरदमेलॆ
बीळुवंतॆ माडो नी गुरुनाथ |

अल्लि इल्लि इरुवॊ देवरॆल्ला बंदु निन्न पाद-
दल्लि निंतरल्लो श्री गुरुनाथ |

गुरुवॆ निम्म चरणदल्लि
करणविट्टॆनय्या मुंदॆ
मरणवन्नु हरिसो गुरुनाथ |

तंदॆ तायि दैव नीनॆ ऎंदु
निन्न चरणदॊळु निंदु
बंदु निंतॆनो गुरुनाथ |

परम निम्म पाददल्लि
शिरवनिट्ट नरनु पुरहरन
मीरुवनु हे गुरुनाथ |

मंकनादॊडेनु निम्म किंकरनादोडॆ
गुरु शंकरनागुव गुरुनाथ ||

नामावलिः

शंकराचार्य गुरुनाथ
नित्यतृप्त गुरुनाथ
शंकराचार्य गुरुनाथ
निष्कलंक गुरुनाथ
शंकराचार्य गुरुनाथ
पुण्यशील गुरुनाथ
शंकराचार्य गुरुनाथ
नित्यतुष्ट गुरुनाथ
पाहि मां गुरुनाथ
शंकराचार्य गुरुनाथ

घोषः

जगद्गुरु शंकराचार्य गुरु महाराज की जै |