गुरुदेवता भजनमंजरी

रूप पाहतां

घोषः

पुंडलीक वरद हरि विठ्ठल | पंढरिनाथ महाराज की जै

श्लोकः

विभुं वेणुनादं चरंतं दुरंतं
स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम् |
गवां वृंदकानंददं चारुहासं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ||

कीर्तनम् — 5

रूप पाहतां लोचनीं |
सुख जालें वो साजणी ||

तो हा विठ्ठल बरवा |
तो हा माधव बरवा ||

बहुतां सुकृतांची जोडी |
म्हणुनि विठ्ठलीं आवडी ||

सर्वसुखाचें आगर |
बाप रखुमादेवीवरू ||

नामावलिः

विठ्ठल विठ्ठल पांडुरंग
जै जै विठ्ठल पांडुरंग

घोषः

पुंडलीक वरद हरि विठ्ठल | पंढरिनाथ महाराज की जै