पुंडलीक वरद हरि विठ्ठल | पंढरिनाथ महाराज की जै
विभुं वेणुनादं चरंतं दुरंतं
स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम् |
गवां वृंदकानंददं चारुहासं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ||
रूप पाहतां लोचनीं |
सुख जालें वो साजणी ||
तो हा विठ्ठल बरवा |
तो हा माधव बरवा ||
बहुतां सुकृतांची जोडी |
म्हणुनि विठ्ठलीं आवडी ||
सर्वसुखाचें आगर |
बाप रखुमादेवीवरू ||
विठ्ठल विठ्ठल पांडुरंग
जै जै विठ्ठल पांडुरंग
पुंडलीक वरद हरि विठ्ठल | पंढरिनाथ महाराज की जै