लक्ष्मीनरसिंह भगवान की जै | प्रह्लादवरदनिगॆ जै
संसारसागरनिमज्जनमुह्यमानं
दीनं विलोकय विभो
करुणानिधे माम् |
प्रह्लादखेदपरिहारपरावतार
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि
करावलंबम् ||
श्री नृसिंह पाहि
मोह पटल नाशन |
खळ हिरण्यकशिपु कठिण
हृदय दारण |
वर प्रह्लादोद्धरण पावन |
उद्धरण पावन ||
घोर संसार पाशमपनयाशु मे |
काम क्रोध लोभ मोह
मद विमर्दन |
महिमातीतानंत वैभव |
आनंत वैभव ||
शरणमस्तु तेंघ्रियुगलमिह सुरेश्वर |
अरुण किरण तरणि कोटि
किरण भास्वर |
चरणांभोज प्रणत सुखकर |
सुप्रणत सुखकर ||
सद्रजस्तमोगुणोन भक्त वत्सल |
भक्ति युक्ति वरद शक्ति मुक्ति सुचरित |
परिपाहीश महीवरार्चित ||
महीवरार्चित ||
नरसिंह लक्ष्मीनरसिंह
नरसिंह अभयं देहि स्वामि
नरसिंह कृपॆ तोरु तंदॆ
नरसिंह निनगॆ शरणु ऎंदॆ
लक्ष्मीनरसिंह भगवान की जै | प्रह्लादवरदनिगॆ जै