गुरुदेवता भजनमंजरी

श्री नृसिंह पाहि

घोषः

लक्ष्मीनरसिंह भगवान की जै | प्रह्लादवरदनिगॆ जै

श्लोकः

संसारसागरनिमज्जनमुह्यमानं
दीनं विलोकय विभो
करुणानिधे माम् |
प्रह्लादखेदपरिहारपरावतार
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि
करावलंबम् ||

कीर्तनम् — 3

श्री नृसिंह पाहि
मोह पटल नाशन |
खळ हिरण्यकशिपु कठिण
हृदय दारण |
वर प्रह्लादोद्धरण पावन |
उद्धरण पावन ||

घोर संसार पाशमपन­याशु मे |
काम क्रोध लोभ मोह
मद विमर्दन |
महिमातीतानंत वैभव |
आनंत वैभव ||

शरणमस्तु तेंघ्रियुगल­मिह सुरेश्वर |
अरुण किरण तरणि कोटि
किरण भास्वर |
चरणांभोज प्रणत सुखकर |
सुप्रणत सुखकर ||

सद्रजस्तमोगुणोन भक्त वत्सल |
भक्ति युक्ति वरद शक्ति मुक्ति सुचरित |
परिपाहीश महीवरार्चित ||
महीवरार्चित ||

नामावलिः

नरसिंह लक्ष्मीनरसिंह
नरसिंह अभयं देहि स्वामि
नरसिंह कृपॆ तोरु तंदॆ
नरसिंह निनगॆ शरणु ऎंदॆ

घोषः

लक्ष्मीनरसिंह भगवान की जै | प्रह्लादवरदनिगॆ जै