सप्तगिरि ऒडॆय वॆंकटरमण गोविंद गोविंद
श्रीशेषशैल सुनिकेतन दिव्यमूर्ते
नारायणाच्युत हरे नळिनायताक्ष |
लीलाकटाक्ष परिरक्षित सर्वलोक
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
ब्रह्मादि वंदित पदांबुज शंखपाणे
श्रीमत् सुदर्शन सुशोभित दिव्यहस्त |
कारुण्य सागर शरण्य सुपुण्यमूर्ते
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
वेदांत वेद्य भवसागर कर्णधार
श्रीपद्मनाभ कमलार्चित पादपद्म |
लोकैकपावन परात्पर पापहारिन्
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
लक्ष्मीपते निगमलक्ष्य निजस्वरूप
कामादिदोष-परिहारक बोधदायिन् |
दैत्यादिमर्दन जनार्दन वासुदेव
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
तापत्रयं हर विभो रभसा मुरारे
संरक्ष मां करुणया सरसीरुहाक्ष |
मच्छिष्यमित्यनुदिनं परिरक्ष विष्णो
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
श्रीजातरूप नवरत्नलसत्किरीट
कस्तूरिका-तिलक-शोभि-ललाट-देश |
राकेंदुबिंब वदनांबुज वारिजाक्ष
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
वंदारुलोक वरदानवचोविलास
रत्नाढ्यहार परिशोभित-कंबुकंठ |
केयूर-रत्न-सुविभासि-दिगंतराल
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
दिव्यांगदांकित भुजद्वय मंगलात्मन्
केयूरभूषण सुशोभित दीर्घबाहो |
नागेंद्र-कंकण-करद्वय कामदायिन्
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
स्वामिन् जगद्धरण वारिधि मध्यमग्नं
मामुद्धरार्य कृपया करुणापयोधे |
लक्ष्मींश्च देहि मम धर्म समृद्धि हेतुं
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
दिव्यांग राग परिचर्चित कोमलांग
पीतांबरावृत-तनो तरुणार्क-भास |
सत्कांचनाभ परिधानसुपट्टबंध
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
रत्नाढ्यधाम सुनिबद्ध-कटिप्रदेश
माणिक्य दर्पण सुसन्निभजानुदेश |
जंघाद्वयेन परिमोहित सर्वलोक
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
लोकैकपावन सरित्परिशोभितांघ्रे
त्वत्पाददर्शनदिने च ममाघमेष |
हार्दं तमश्च सकलं लयमाप भूमन्
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
कामादिवैरि निवहोच्युत मे प्रयातः
दारिद्र्यमप्यपततं सकलं दयालो |
दीनं च मां समवलोक्य दयार्द्र दृष्ट्या
श्री वेंकटेश मम देहि
करावलंबम् ||
श्री वेंकटेश पदपंकज षट्पदेन
श्रीमन् नृसिंह यतिना रचितं जगत्याम् |
ये तत् पठंति मनुजाः पुरुषोत्तमस्य
ते प्राप्नुवंति परमां पदवीं मुरारेः ||
सप्तगिरि ऒडॆय वॆंकटरमण गोविंद गोविंद