गुरुदेवता भजनमंजरी

शुक्रवारदल्लि मुस्संजॆ हॊत्तल्लि

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै

श्लोकः

देवि प्रसीद जगदीश्वरि लोकमातः
कल्याणगात्रि कमलेक्षणजीवनाथे ।
दारिद्र्यभीतिहृदयं शरणागतं मां
आलोकय प्रतिदिनं सदयैरपांगैः ॥

कीर्तनम् — 4

शुक्रवारदल्लि मुस्संजॆ हॊत्तल्लि
लक्ष्मी बरुवळु नोडॆ कदवतॆरॆ ||

आसरॆ कॊडिसुत्त आसॆय बिडिसुत्त
दोषव कळॆवळु श्रीशक्तियॆ
वासव पूजितॆ वारिजासन माते
वर तुंबि तरुवळु कदव तॆरॆ ||

मळॆ बॆळॆ नीडुत्ता इळॆयन्नु पॊरॆवळु |
नळिननाभन राणि श्रीरुक्मिणि
चरणव पिडिदंथ शरणर सलहलु |
सरसरनॆ बरुवळु कदव तॆरॆ ||

सुमति सौभाग्यव नीडुव मंगळे |
सरसिजनाभन हृदय सदनॆ |
सॆरगॊड्डि बेडलु उडितुंब वरगळ |
हिडि हिडि तरुवळु कदव तॆरॆ ||

नामावलिः

वरलक्ष्मि माहालक्ष्मि
माम् पाहि जय लक्ष्मि |

घोषः

महालक्ष्मी माता की जै