गुरुदेवता भजनमंजरी

जय जय दुर्गे

घोषः

भवानी माता की जय

श्लोकः

नमामि यामिनीनाथ­लेखालंकृतकुंतलाम् |
भवानीं भवसंताप­निर्वापणसुधानदीम् ||

कीर्तनम् — 4

रागः : दुर्गा

तालः : आदि

जय जय दुर्गे जितवैरि वर्गे
वियदनिलादि विचित्र सर्गे ||

सुंदरतर चरणारविंदे
सुख परिपालित लोक वृंदे |
नंद सुनंदादि योगि वंद्ये
नारायण सोदरि परानंदे ||

सरस मणि नूपुर संगत पादे
समधिगताखिल सांगवेदे |
नर किन्नर वर सुर बहु गीते
नंदनुते निखिलानंद भरिते ||

कनक पटावृत घनतरजघने
कल्याणदायिनि कमनीय वदने |
इनकोटि संकाश दिव्याभरणे
इष्ट जनाभीष्ट दाननिपुणे ||

अनुदयलय सच्चिदानंद लतिके
आलोल मणिमय ताटंक धनिके |
नर नारि रूपादि कार्य साधिके
नारायण तीर्थ भावित फलके ||

नामावलिः

जय दुर्गॆ जय दुर्गॆ
जय जगदीश्वरि जय दुर्गे

घोषः

भवानी माता की जय