गुरुदेवता भजनमंजरी

दत्त दिगंबरने

घोषः

अवधूत चिंतन श्रीगुरुदेव दत्त

श्लोकः

गोरक्षाद्यैर्मुख्यसुशिष्यैः परिवीतं
गोविप्राणां पोषणसक्तं करुणाब्धिम् |
गोलक्ष्मीशांबुजभवगिरिजासखरूपं
दत्तात्रेयश्रीपदपद्मं प्रणतोऽस्मि |

कीर्तनम् — 4

दत्त दिगंबरने वंदिपॆ ना कायै
करुणासागर वल्लभराय ||

वाडिय वास हे जगदीशा
नीगिसु आशा बेडुवॆ श्रीशा |
चैतन्यांबुधि आत्म स्वरूप ||

विषयदॊळिरुव ई घन प्रेम
निन्नॊळगिरलै निर्गुणधाम |
सद्गुरुनाथा हे अवधूत ||

सत्य स्वरूप नित्यानंद
मिथ्या कल्पनॆ ई जग निन्नॊळु |
ब्रह्मानंद शंकर रूप ||

नामावलिः

गुरु दत्तात्रेय श्रीपादराय
नरसिंह सरस्वति यतिराय |
गुरु हरि गुरु हर गुरु ब्रह्म
सद्गुरुवे साक्षात् परब्रह्म ||

घोषः

अवधूत चिंतन श्रीगुरुदेव दत्त