दीपप्रज्वलनॆ, गुरुवंदनॆयन्नु पूरैसिकॊंडु, प्रतियॊंदु देवतॆयन्नु भक्तियिंद स्मरिसि कीर्तनॆयन्नु अंग सहितवागि हाडुवुदु. कॆळगॆ भजना क्रमदल्लि कॊडल्पट्ट गणेशरिंद आंजनेयर वरॆगॆ प्रति देवर कीर्तनॆगळन्नु हाडुवुदरल्लि ई अंगगळॆल्लवन्नु इदे क्रमदल्लि बिडदॆ पालिसुवुदु. प्रति देवर कीर्तनॆय अंगगळु इवु - (1) जय घोष वाक्य (2) श्लोक (3) प्रस्तुत कीर्तनॆ (कीर्तनॆय बदलु स्तोत्रविद्दल्लि मॊदलु मत्तु कॊनॆयल्लि घोषवाक्य मात्रविरुत्तदॆ. श्लोक मत्तु नामावळिगळु इरुवुदिल्ल.) (4) नामावळि (5) जय घोष वाक्य. इवुगळन्नु हाडिद नंतर जगद्गुरु श्री शंकरभगवत्पादर अष्टोत्तर अर्चनॆ, हण्णु-कायि नैवेद्य माडि आरति हाडुगळन्नु हाडुत्ता आरति माडुवुदु. नंतर तत्त्वपदगळन्नु (मृदंग ताळ मॊदलाद वाद्यगळिल्लदॆ) हाडि कॊनॆयल्लि मंगळ श्लोकगळन्नु हेळि “शारदे पाहि मां शंकर रक्ष मां” ऎंब प्रार्थनॆयॊंदिगॆ भजनॆयन्नु मुक्तायगॊळिसुवुदु.